
COVID-19 Vaccine : लोगों के बीच इस बात को लेकर काफी अफवाह फैली हुई थी कि वैक्सीन लगवाने के 2 साल बाद लोगों की मृत्यु हो जाएगी। लेकिन हम आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है यह केवल एक अफवाह है।
रॉयर नामक मैगजीन जो USA की एक प्रसिद्ध मैग्नीज है । जिसने ल्यूक मॉन्टैग्नियर नामक वैज्ञानिक का एक इंटरव्यू लिया था। जिस इंटरव्यू में ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने यह बताया था कि वैक्सीन की सामूहिक टीकाकरण प्रक्रिया गलत है । वैज्ञानिकों द्वारा जल्दबाजी में लिया गया फैसला है जो एक प्रकार की त्रुटि है।
ल्यूक मॉन्टैग्नियर कौन है?
महत्वपूर्ण बिन्दू
यह वही वैज्ञानिक है उन्होंने पिछले साल अप्रैल के शुरुआत में ही कहा था कि यह जो कोरोना वायरस है यह मानव द्वारा लैब में बनाया गया एक वायरस है जो नेचुरल नहीं है। मोंटेग्नियर ने हो HIV नामक वायरस की खोज की थी। इसलिए इनको 1983 में नोबेल पुरस्कार मिला था । यह फ्रांस के रहने वाले हैं। ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने क्यों कहा की रिसर्च के बाद ही वैक्सीनेशन किया जाय ।
उन्होंने अपने इंटरव्यू में यह बताया कि यह वायरस HIV के वायरस से मिलता-जुलता वायरस है और यह हो सकता है कि HIV की दवा बनाने के लिए इस वायरस को लैब में विकसित किया गया हो। लेकिन यह वायरस किसी लैब से लीक हो गया है। यह मानव द्वारा बनाया गया वायरस है। इसलिए जितनी भी जगह वैक्सीनेशन की जा रही हैं उसे अभी कुछ दिनों के रिसर्च के बाद ही वैक्सीनेशन किया जाना चाहिए।
क्या थी अफवाहे ?
कोरोना वायरस बहुत जल्दी से अपनी संख्या बढ़ा देता है जिसके चलते कोरोना वायरस का नया नया वैरिएंट निकल रहा है। कोरोना से बचने के लिए जो वैक्सीनेशन किया जा रहा है यही कोरोना के नए वैरीएंट के लिए जिम्मेदार है। इसीलिए मेरा यह मानना है कि दो-तीन वर्षों तक अभी कोरोना पर रिशर्च के बाद ही वैक्सीन लगाया जाना चाहिए। इनके द्वारा कही गई इन्हीं बातों को लोगों ने अफवाह के रूप में फैलाना शुरू कर दिया।
ल्यूक मॉन्टैग्नियर द्वारा रॉयर मैगजीन को दिया गया इंटरव्यू के कुछ प्रमुख बातें क्या थी?
1.ल्यूक मॉन्टैग्नियर का कहना है लोगों ने जो वैक्सीन लिया है उसी से यह कोरोना वायरस इतनी इम्युनिटी बढ़ा रहा है । जब कोरोना वायरस शरीर के अंदर अटैक करता है तो इसी वैक्सीन के चलते यह इतना तेजी से म्यूटेट हो रहा है।
2.उन्होंने यह कभी नहीं कहा है कि वैक्सीन लगाने के दो साल में लोगो की मृत्यू हो जाएगी। उनका तो यह कहना था कि यह जो वैक्सीन लोगो को लगाई जा रही है इस वैक्सीन का प्रभाव दो-तीन साल में देखने को मिलता है कि यह लोगो पर किस तरह के प्रभाव डालता है ।
3.उनका यह भी कहना है कि अभी करोना वायरस के बारे में पूरी तरह जानकारी नहीं लिया गया है और इसकी दवा बना दी गई है । इसका लोगों पर साइड इफेक्ट पता करने के लिए थोड़ा समय लगता है।
4.अगर वैक्सीनेशन किया जा रहा है तो इसके साथ-साथ इस बात का भी ख्याल रखा जाए कि जो नया कोरोना वायरस है वो इस वैक्सीन से म्युटेट ना हो।
वैक्सीन बनाने के लिए किस फार्मूला प्रयोग हो रहा है?
कोरोना से बचने के लिए दुनिया भर में दो प्रकार की फार्मूला से बनाई गई वैक्सिन दी जा रही है।
- पहली प्रक्रिया में वैक्सिन बनाने के लिए एडिनो वायरस के सैल से प्रोटीन को लिया जा रहा है।
- दूसरी प्रक्रिया में वैक्सिन बनाने के लिए मैसेंजर RNA मनुष्य के शरीर के अंदर डाला जा रहा है। भारत में चल रही सिरम इंस्टीट्यूट और को वैक्सीन भी एडिनोवायरस का प्रोटीन को ही उपयोग में ले रही है। दुनिया के अंदर मॉडर्ना और फाइजर कंपनी भी मैसेंजर RNA को उपयोग में ले रही है।
वैक्सीन के अंदर क्या डाला जाता है?
वैक्सीन में कोरोना वायरस को ही कमजोर करके शरीर के अंदर डाला जाता है जो बहुत ही कमजोर होते है। जिससे सिर्फ शरीर को इस वायरस से पहचान कराई जाती है। हमारा शरीर एंटीबॉडी बनाता है और हमारे शरीर में यदि ओरिजिनल कोरोना वायरस आता है तो उसे पहचान कर हमारा एंटीबॉडी ही मार डालता है।

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