Gulshan Kumar murder case! गुलशन कुमार मर्डर केस!

Gulshan Kumar murder case : गुलशन कुमार मर्डर केस पर कई फिल्में बनी है। यह केस अंडरवर्ल्ड की दुनिया से जुड़ा हुआ है। आप लोगों ने प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty.) के बारे में जरूर सुने होंगे कई बार आप यह सुनते हैं कि भारत ने किसी दूसरे देश के साथ प्रत्यर्पण संधि कर रखी है।

Gulshan Kumar murder case!
Gulshan Kumar murder case!

कई बार यह देखा जाता है कि अगर कोई देश किसी देश के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं किया है तो वह किसी दोषी को सजा नहीं दिला सकता है। गुलशन कुमार के मर्डर केस का मुख्य आरोपी को आज तक सजा नहीं दी जा सकी है। हाल ही में मुंबई हाई कोर्ट ने मुख्य सूटर अब्दुल रऊफ मर्चेंट जिसने गुलशन कुमार को 16 गोलियां मारी थी उसकी उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है।

गुलशन कुमार का जन्म कब और कहां हुई ?

महत्वपूर्ण बिन्दू

गुलशन कुमार का जन्म 5 मई 1956 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम चंद्रभान था जो पंजाबी थे।
गुलशन कुमार 1980 से 1990 के बीच धार्मिक गीतों को गाने के लिए प्रसिद्ध थे।

वह धार्मिक गीत गाने के लिए इतने फेमस हो गए कि उनके द्वारा गाए गए भजन आज तक सुने और देखे जाते हैं। उन्होंने जो भक्ति संगीत गाया है वह बिल्कुल बॉलीवुड के तर्ज पर है। बॉलीवुड की तर्ज पर गाते हुए ही उन्होंने एक अपनी कंपनी बनाई जिसका नाम T-Series रखा गया। गुलशन कुमार ही T-Series कंपनी के मालिक थे।

गुलशन कुमार के पुत्र का क्या नाम है?

गुलशन कुमार के पुत्र का नाम भूषण कुमार है और उनकी बहू का नाम दिव्या घोसला है। वर्तमान में T-Series कंपनी को उनके पुत्र ही चला रहे हैं।

गुलशन कुमार का शुरुआती जीवन कैसे बिता ?

कहा जाता है कि किसी चीज को सही दिल से चाहे तो वह आपको मिल ही जाता है। गुलशन कुमार के पिताजी दिल्ली के दरियागंज मे 1970 से 1980 के दशक में एक जूस की दुकान चलाते थे। गुलशन कुमार उस जूस की दुकान पर बैठकर अपने पिताजी की हेल्प किया करते थे। उनकी दुकान पर भक्ति गाने कैसेट के माध्यम से बजते थे।

धीरे-धीरे उनकी दुकान को बड़े करते हुए गुलशन कुमार ने वहीं पर एक कैसेट्स की दुकान खोल ली और वही से उन्होंने कैसेट्स को किराए पर देना शुरू कर दिया। कैसेट और जूस की दुकान अच्छे से चलने लगी। अगर कोई कैसेट्स खराब हो जाते थे तो उन्हें गुलशन कुमार खुद ही ठीक कर लेते थे। धीरे-धीरे गुलशन कुमार अपने बारे में जानने लगे कि वह भी अच्छा गा लेते हैं।

ऐसी स्थिति में उनके मन में यह विचार आया कि क्यों ना खुद की कैसेट बनाकर बेची जाए। उसके बाद उन्होंने खुद की भक्ति कैसेट्स बनाकर बेचना शुरू कर दिया। कहा जाता है कि जिस समय मार्केट में ₹30 की कैसेट्स मिलती थी वहां पर उन्होंने अपनी रिकॉर्ड की हुई भक्ति कैसेट को ₹15 में लोगों को देने लगे।

उनकी गाना गाने की आवाज काफी अच्छी थी जिससे उनका यह कारोबार तेजी से बढ़ने लगा। उनका कारोबार इतना बढ़ा की उन्होंने न्यू कॉमर्स को संगीत की दुनिया में उतार दिया।

गुलशन कुमार किन नए कलाकारों को मौका दे रहे थे ?

जिनमें से एक नाम अनुराधा पौडवाल का आता है अनुराधा पौडवाल के बारे में यह कहा जाता है कि यदि लता मंगेशकर अच्छा गाती है तो अनुराधा पौडवाल भी भक्ति संगीत में बहुत अच्छा गाती है। मोहम्मद रफी की आवाज निकालने के लिए सोनू निगम को जाना जाता है। यह लोग आने वाले दिनों में सुपर स्टार हो गए और इनका कारोबार बढ़ने लगा। जिसमें यह लोग बढ़िया से कैसेट्स रिकॉर्ड करते और बेच देते थे।

गुलशन कुमार ने मुम्बई का रुख क्यों किया ?

संगीत की दुनिया में आगे बढ़ते हुए इन्होंने दिल्ली छोड़ कर मुंबई जाने का फैसला कर लिया। मुंबई जाने के बाद उन्होंने कुछ फिल्मी गानों का प्रोडक्शन शुरू किया। वहा पर भी फिल्मी गानों का प्रोडक्शन अच्छे से चलने लगा। T-Series कंपनी अपने सस्ते प्रोडक्ट के लिए जानी जाती थी। धीरे-धीरे यह लोगों में काफी लोकप्रिय हो गया।

गुलशन कुमार को फिल्मों में गाने के लिए ऑफर मिले ।

उसके बाद गुलशन कुमार को फिल्मों में गाने के लिए भी ऑफर मिलने लगा। धीरे-धीरे एक समय ऐसा आ गया कि 1980 से 1990 के बीच मात्र 10 सालों में उन्होंने काफी शौहरत हासिल कर ली। 1990 से 1995 के बीच इनके पास इतने काम हो गए थे कि म्यूजिक इंडस्ट्रीज का 65% म्यूजिक T-Series के माध्यम से ही निकला करता था।

इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बॉलीवुड के जितने भी गाने आते थे T-Series उनको या तो प्रोडियूज करता था या फिर कंपोज करता था। गुलशन कुमार कि यह खासियत थी कि वह न्यू कॉमर्स को ज्यादा मौका दिया करते थे। वह हमेशा न्यू टैलेंट को मौका देते थे एवं उन पर पैसे खर्च करते थे और उनके साथ ही अपने काम को आगे बढ़ाते थे।

गुलशन कुमार की हत्या कब हुई ?

T-Series कंपनी के कार्य को गुलशन कुमार आगे बढ़ी रहे ही रहे थे कि 12 अगस्त 1997 को एक मंदिर के बाहर उन्हें 16 गोलियां मार दी गयी। गोलियां लगा हुआ व्यक्ति जो उस समय बॉलीवुड में म्यूजिक इंडस्ट्रीज का बेताज बादशाह था, उसकी मौत हो गयी। मरने के बाद उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया गया जहां पर तमाम हस्तियो की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

गुलशन कुमार के साथ किसकी जोड़ी थी ?

गुलशन कुमार के साथ नदीम और श्रवण की जोड़ी थी। जब भी कोई म्यूजिक बनती है तो उसमे गायक के साथ-साथ म्यूजिक डॉयरेक्टर भी होता है। उस समय गुलशन कुमार के साथ नदीम और श्रवण म्यूजिक डायरेक्टर हुआ करते थे जो पूरे टाइम उनके साथ ही रहा करते थे। नदीम और श्रवण ने बहुत ही फेमस फिल्म आशिकी मे अपना संगीत दिया था। उसके बाद उन्हें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा अर्थात वह आगे ही बढ़ते गए।

गुलशन कुमार के मौत का क्या कारण था ?

गुलशन कुमार नए कलाकारों को मौका देने के लिए जाने जाते थे। उनकी यह अच्छाई थी कि वह फेमस हो चुके कलाकारों से कहते थे कि अब आप अपना काम आगे बढ़ाइए हम टैलेंट को मौका देने जा रहे हैं।

लेकिन इनके द्वारा यह किया जा रहा कार्य फेमस हो चुके कलाकारों को यह लगता था कि अब उनकी तरक्की गुलशन कुमार से देखी नहीं जा रही है। इसलिए उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया है। इसी समझने की भूल के कारण ही नदीम गुलशन कुमार की मौत का सबसे बड़ा कारण बने।

गुलशन कुमार की तरक्की किससे देखी नही गयी ?

उस समय टिप्स कंपनी के मालिक रमेश तौरानी थे। जिनसे गुलशन कुमार की तरक्की देखी नहीं जा रही थी। गुलशन कुमार उस समय लगभग 3.5 करोड़ के मालिक थे। टिप्स की ही सफलता के ऊपर चढ़कर आगे बढ़े थे क्योंकि टिप्स को गुलशन कुमार ने टी सीरीज के माध्यम से पीछे छोड़ दिए थे।

गुलशन कुमार ने किसे प्रमोट करने से मना कर दिया ?

नदीम और श्रवण ने जब यह देखा कि गुलशन कुमार उनकी मदद नहीं कर रहे हैं म्यूजिक इंडस्ट्रीज में उनके गाने प्रमोट नहीं कर रहे हैं तो उन्होंने इसके लिए गुलशन कुमार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। गुलशन कुमार ने नदीम से यह कहा कि आप के गाने लोगों को पसंद नहीं आ रहे हैं।

इसलिए आप गाना मत गाइए लेकिन उसके बाद भी नदीम ने गुलशन कुमार पर यह दबाव डाला कि हमने जैसी भी गाने गाए हैं उसको आप को प्रमोट करना होगा। नदीम द्वारा गुलशन कुमार पर डाला गया दबाव को गुलशन कुमार ने मानने से इनकार कर दिया।

नदीम ने गुलशन कुमार पर दबाव बनाने के लिए किसकी सहायता ली ?

नदीम ने अपने द्वारा गाए गए गानों को प्रमोट करने के लिए गुलशन कुमार पर दबाव डालने के लिए अंडरवर्ल्ड से सहायता मांगी। उस अंडरवर्ल्ड मे दाऊद इब्राहिम का नाम बहुत चर्चित हुआ करता था। दाऊद इब्राहिम आज भी पाकिस्तान में छिपा बैठा है, उस दाऊद इब्राहिम का नदीम ने हेल्प लिया।

नदीम ने दाऊद इब्राहिम से कहकर गुलशन कुमार पर दबाव बनाने का प्रयास किया। उसने अंडरवर्ल्ड से कहा कि गुलशन कुमार पर प्रेशर क्रिएट किया जाए कि वह हमारे गानों को प्रमोट करें अगर वह हमारे गानों को प्रमोट नहीं करता है तो उसे जान से मारने की धमकी दी जाए।

दाऊद इब्राहिम ने गुलशन कुमार को धमकाने के लिए किसे चुना ?

दाऊद इब्राहिम ने इस काम को छोटा समझा और उसने इस काम को करने के लिए अपने एक गुर्गे अबू सलेम को चुना और उससे यह कहा कि तुम गुलशन कुमार को धमकाओ। उसके द्वारा 5 अगस्त 1997 को धमकाना शुरू किया गया है। अबू सलेम का फोन आया गुलशन कुमार के पास कि तुम्हें नदीम के गानों को प्रमोट करना है।

गुलशन कुमार के भाई किशन कुमार उनके सभी बातों को सुन रहे थे जब अबू सलेम फोन पर गुलशन कुमार को धमका रहा था और कह रहा था कि अपनी सुरक्षा के लिए 10 करोड़ रुपए उसे तुरंत ट्रांसफर करें और यदि पैसे ट्रांसफर नहीं किए तो इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा।

गुलशन कुमार को अंडरवर्ल्ड से किसी प्रकार का कोई डर नहीं था जो उनकी मौत का कारण बना !

5 अगस्त 1997 के बाद 8 अगस्त 1997 को एक बार फिर अबू सलेम का फोन आया और यह कहा गया कि तुम तो अभी तक डरे नहीं और ना ही पैसे दिए। अबू सलेम को लगा कि अंडरवर्ल्ड से गुलशन कुमार को किसी प्रकार का कोई डर नहीं है। उसके बाद गुलशन कुमार को मारने की रणनीति बनाई गयी।

गुलशन कुमार की मृत्यु कहा हुई ?

गुलशन कुमार की मृत्यु जीतनगर मुंबई में हुई। गुलशन कुमार मुंबई में उपस्थित रहते थे तो रोज एक मंदिर मे पूजा करने जाया करते थे। 12 अगस्त 1997 को जब वह उस मंदिर से पूजा कर के सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे तो अब्दुल रऊफ मर्चेंट अपने दो साथियों के साथ वहीं पर खड़ा था।

उसने गुलशन कुमार पर 16 गोलियां दागी, गोली लगने के बाद गुलशन कुमार की वहीं पर मौत हो गई। लेकिन उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया जहा पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

गुलशन कुमार को मारने में किस-किस का हाथ था ?

अब्दुल रऊफ मर्चेंट अब्बू सलेम के कहने पर ही गुलशन कुमार को मारने का ठेका लिया था। गुलशन कुमार के मरने के बाद जब अब्दुल रऊफ मर्चेंट को गिरफ्तार किया गया तो उसने बताया कि गुलशन कुमार को मारने के लिए मुझे रमेश तौरानी ने पैसे दिए हैं। गुलशन कुमार को मारने में नदीम रमेश तौरानी और अंडरवर्ल्ड का नाम जुड़ा हुआ है। यह सभी मिलकर गुलशन कुमार को मारने का ठेका एक सुपारी किलर को दे रखे थे।

अब्दुल रऊफ मर्चेंट की उम्रकैद की सजा पर कोर्ट का क्या फैसला आया है ?

हाल ही में अब्दुल रऊफ मर्चेंट को दी गई उम्रकैद की सजा को मुंबई हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। मुंबई हाई कोर्ट का यह कहना है कि अब्दुल रऊफ मर्चेंट ने किसी के कहने पर गुलशन कुमार को मारा था वह अपनी मर्जी से उन्हें नहीं मारना चाहता था। गुलशन कुमार को मारना तो रमेश तौरानी, नदीम और अंडरवर्ल्ड चाहता था।

नदीम और अबू सलेम को पकड़ने के लिए पुलिस लगी तो पता चला कि नदी गुलशन कुमार की मृत्यु के तुरंत बाद ही नदीम UK चला गया। 1997 से लेकर आज तक वह भारत लौट कर नहीं आया है।

नदीम को आज तक सज़ा क्यों नही मिला ?

प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty.) के तहत ही नदीम को आज तक भारत नहीं लाया जा सका है। क्योंकि उसके खिलाफ सिर्फ एक ही सबूत था की गुलशन कुमार के भाई किशन कुमार ने सिर्फ फोन पर ही यह सुना था कि नदीम को प्रमोट करने के लिए अबू सलेम फोन पर कह रहा था।
इसके साथ अब्दुल रऊफ मर्चेंट का भी यह बयान है कि 5 अगस्त 1997 को गुलशन कुमार को मारने के लिए नदीम की उपस्थिति में दुबई में लिया गया था। इस गवाह को भी पर्याप्त नहीं माना गया जिसके कारण आज तक नदीम फरार है।

अबू सलेम को आज तक सजा क्यों नहीं मिला ?

मुंबई में 1993 में दंगे हुए थे उन दंगों का मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम था। दाऊद इब्राहिम अपने सारी घटनाओं को अंजाम देने के लिए अबू सलेम की सहायता लिया था। अबू सलेम दाऊद इब्राहिम का चेला था उसको 2005 में पुर्तगाल से भारत लाया गया था।

लेकिन उसके ऊपर गुलशन कुमार के मर्डर का केस नहीं चला क्योंकि जब भारतीय पुलिस पुर्तगाल से अबू सलेम को लेकर आ रही थी उस समय पुर्तगाली सेना ने भारतीय पुलिस से पूछा कि आप इसे क्यों ले जा रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि यह 1993 में हुए दंगों का मुख्य आरोपी है। उस समय भारतीय पुलिस अपने एफिडेविट में यह बताना भूल गई थी कि यह गुलशन कुमार के मर्डर का भी आरोपी है।

भारतीय सुरक्षा एजेंसी से क्या भूल हुआ ?

पुर्तगाल को भारतीय पुलिस ने अपनी एफिडेविट में यह बताया था कि यह 1993 में हुए दंगों का आरोपी है कोई अन्य केस इसके साथ नहीं जोड़ा गया। सुरक्षा एजेंसी के हुए इसी भूल के लिए आज भी अबू सलेम के ऊपर गुलशन कुमार के मर्डर का केस नहीं चलता है जबकि अबू सलेम के कहने पर ही गुलशन कुमार को मारा गया था।

कोर्ट की उपस्थिति में उसे गायब दिखाया जाता है। इस घटना कि और किरदारों के बारे में देखा जाए तो रमेश तौरानी के ऊपर पुलिस द्वारा चार्ट सीट दायर की गई लेकिन वह गवाहों के अभाव में छूट गया। नदीम भारत छोड़कर चला गया। अबू सलेम के ऊपर गुलशन कुमार के मौत का कोई केस नहीं चला।

अब्दुल रऊफ मर्चेंट को कहा से गिरफ्तार किया गया था ?

शार्प शूटर अब्दुल रऊफ मर्चेंट को 2005 में गिरफ्तार कर लिया गया था हाई कोर्ट ने उसे पैरोल पर रिहा भी कर दिया था। यह कहते हुए कि तुमको तो किसी ने मारने के लिए कहा था तुम खुद गुलशन कुमार को नहीं मारना चाहते थे। उसे पैरोल पर रिहा किया गया था लेकिन वह देश छोड़कर भाग गया । लेकिन BSF ने बांग्लादेश के पोस्ट से 2012 में एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया।

वह आज भी यह कह रहा है कि मुझे आप पैरोल पर रिहा कर दीजिए अब मैं देश छोड़कर नहीं भागूंगा लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी उम्र कैद की सजा को बरकरार रखते हुए यह कहा है कि अब तुम्हें पैरोल पर भी बाहर नहीं भेजा जाएगा।

इस घटना में जितने भी किरदार जुड़े हुए हैं उनमें सबसे बड़ा किरदार अंडरवर्ल्ड का है। उस समय कहा जा रहा था कि मुंबई में अलग सरकार चलाने के लिए यह जानी जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे मुंबई से अंडरवर्ल्ड का खात्मा हो गया। और सारी चीजें सामान्य होती चली गई।
यह वह दौर था जिस समय फिल्मी सितारे अंडरवर्ल्ड का नाम अपने साथ होना गर्व की बात मानते थे।

Why did Facebook change its name? फेसबुक ने अपना नाम क्यों बदला?

What is America’s Lucy Mission? अमेरिका का लूसी मिशन क्या है?

भूटान और चीन के बीच तीन-चरणीय रोड मैप समझौता क्या है?

What is the Meta / Metaverse ? Internet से भी ऊपर की दुनिया Metaverse क्या है?

Linkedin kya hai लिंकडीन क्या है What is Linkedin in Hindi

Blogger Kaise Bane ब्लॉगर कैसे बने पुरी जानकारी हिंदी में ? How To Become a Blogger

What is the dispute between Ukraine and Russia? यूक्रेन और रूस के बीच क्या विवाद है?

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top