गिलगित बाल्टिस्तान विवाद क्या है What is Gilgit Baltistan dispute

What is Gilgit Baltistan dispute. भारत के विरुद्ध पाकिस्तान गिलगित- बाल्टिस्तान को अपना क्षेत्र मान रहा है और उसे एक प्रांत बनाने के लिए कानून लाने की प्रक्रिया सोच रहा है, लेकिन चीन और अफगानिस्तान की सीमा से लगे इस क्षेत्र को भारत अपना खंड अंग मानता है तथा यह क्षेत्र जम्मू और कश्मीर रियासत का हिस्सा है लेकिन 4 नवंबर 1947 से पाकिस्तान के नियंत्रण में है ।

वस्तुतः यह Pakistan Occupied Kashmir (POK ) से अलग है , जबकि पीओके ( POK ) पाकिस्तान का हिस्सा है और इसे पाकिस्तान ‘आजाद कश्मीर ‘ का नाम देता है । यद्यपि गिलगित-बाल्टिस्तान पीओके की तुलना में 6 गुना बड़ा क्षेत्र है ।

What is Gilgit Baltistan dispute

पीओके के लिए पाकिस्तान में एक अलग संविधान है जो इस्लामाबाद के नियंत्रण में है ।

इतिहास

आजादी से पहले गिलगित अंग्रेजों ने जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन महाराज से गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को लीज पर लिया था तथा यहां ‘ गिलगित स्काउट’ नाम की एक सेना तैनात रहती थी ।

आजादी के बाद लीज खत्म हो गया और अंग्रेजों ने यह क्षेत्र तत्कालीन राजा को लौटा दिया , तत्पश्चात ब्रिगेडियर भंसार सिंह यहां के गवर्नर बने ,तत्पश्चात कबायली फौज के आक्रमण के समय 26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर के राजा हरि सिंह ने जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय किया, परंतु जम्मू कश्मीर का हिस्सा गिलगित – बालटिस्तान में विद्रोह उत्पन्न हो गया और 1 नवंबर 1947 को उन्होंने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर लिया ।

पाकिस्तान ने फ्रंटियर क्राइम रेगुलेशन ( Farntiar crimes Regulation ) के तहत 15 नवंबर 1947 को गिलगित – बालटिस्तान का विलय कर लिया तथा इस क्षेत्र का नाम बदलकर Nothern area of Pakistan ( नॉर्दन एरिया पाकिस्तान ) रख दिया गया।

सन 1948 में भारत ने गिलगित बाल्टिस्तान के क्षेत्र कारगिल , Daarsh ( दराश ) पर कब्जा कर लिया और भारत 1 जनवरी 1974 को जम्मू कश्मीर मुद्दा UNSC ( यूएनएससी ) मैं ले गया ।

वस्तुत: पाकिस्तान ने 1974 में अपना एक संविधान बनाया और पाकिस्तान को चार प्रांतों – पंजाब, सिंधु , बलूचिस्तान , खैबर पख्तवा बनाया तथा गिलगित – बालटिस्तान को कोई भी राजनैतिक अधिकार नहीं मिला ।

सन 1999 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गिलगित बाल्टिस्तान के नागरिकों को पाकिस्तान का नागरिक होने का दर्जा देने को कहा । गिलगित- बालटिस्तान स्वशासन अध्यादेश – 2009 के तहत नॉर्दर्न एरिया लेजिसलेटिव काउंसिल Nothern area legislative council ( NALC ) को हटाकर विधानसभा की व्यवस्था की गई ।

वर्तमान स्थिति

2020 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि गिलगित- बालटिस्तान क्षेत्र में एक आम चुनाव करवाया जाए , लेकिन भारत ने इस स्थिति का कड़ा विरोध किया और जब 1 नवंबर 2020 को गिलगित – बालटिस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा था , तो उस मौके पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने गिलगित- बालटिस्तान को एक प्रांत बनाने के लिए एक कानून लाने की बात की।

वस्तुतः 26 वे संविधान संशोधन के तहत गिलगित- बालटिस्तान के क्षेत्र पर प्रोविजनल प्रोवीस ( Provisional Provise ) की स्थापना की जाने की योजना बना रहा है तथा 26 वें संविधान संशोधन के आधार पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को गिलगित- बाल्टिस्तान क्षेत्र के विषय में कानून बनाने का अधिकार है ।

वर्तमान में गिलगित- बाल्टिस्तान में एक निर्वाचित विधानसभा और परिषद है, जो इस क्षेत्र के संसाधनों और राजस्व को नियंत्रित करता है। परिषद का अध्यक्ष पाकिस्तान का प्रधानमंत्री होता है। Gilgit-Baltistan की क्षेत्रीय सरकार पाकिस्तान सरकार के नियंत्रण में होती है, लेकिन पाकिस्तान के संविधान में इसका उल्लेख नहीं है अर्थात यह क्षेत्र ना तो स्वतंत्र है और ना ही से प्रांतीय दर्जा प्राप्त है ।

भारत का रुख

क्योंकि भारत पहले से चेतावनी देता आया है की पाकिस्तान को इस क्षेत्र पर कोई भी कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है तथा इस क्षेत्र पर पाकिस्तान द्वारा गैर- कानूनी रूप से कब्जा किए क्षेत्र को खाली करने की चेतावनी दी है ।

गिलगित -बालटिस्तान का रणनीतिक महत्व

रणनीतिक महत्व तथा आर्थिक महत्व

गिलगित- बालटिस्तान रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है । यह क्षेत्र पाकिस्तान और चीन के बीच चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC ) के आधार पर अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आर्थिक महत्व के रूप में सामने आता है।

गिलगित – बालटिस्तान के नागरिकों की स्थिति

यहां के नागरिक स्वतंत्र रहना चाहते हैं और यह ऐसे नेतृत्व की अपेक्षा कर रहे हैं ,जो उनके जरूरत के हिसाब से उनकी रक्षा करें। वर्तमान में पाकिस्तान के द्वारा लाए गए इस बिल में यह दावा किया गया है कि वह गिलगित- बालटिस्तान का प्रतिनिधित्व संसद में करेगा । वस्तुत: यह कितना अमल किया जाएगा ,यह वक्त बताएगा ।

चीन की साजिश

चीन पाकिस्तान के बीच हुए समझौता चीन – पाकिस्तान आर्थिक गलियारे ( CPEC ) गिलगित- बालटिस्तान क्षेत्र से होकर गुजरती है. चीन की परियोजना में कोई रुकावट ना आए इसलिए वह पाकिस्तान विवादों से दूरी बनाकर गिलगित – बालटिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देना चाहता है ।

यद्यपि भारत ने चीन- पाकिस्तान के इस आर्थिक गलियारे का विरोध किया था क्योंकि चीन, पाकिस्तान का सहारा लेकर अपने योजनाओं को सफल बनाना चाहता है।

China Pakistan economy coridor (CPEC ) : –

चीन का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है, जो पीओके( Pok ) और अक्साई चीन जैसे विवादित क्षेत्रों से होकर गुजरता है। इसका कुछ क्षेत्र गिलगित- बालटिस्तान क्षेत्र से होकर भी गुजरता है।

लगभग 50 अरब डॉलर लागत की यह योजना जो मुख्य रूप से एक हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है , जो चीन के काशगर प्रांत को पाकिस्तान के गवारद पोर्ट से जुड़ेगा। जो चीन की एक महत्वकांक्षी परियोजना वन बेल्ट वन रोड OBOR( One belt one road ) का हिस्सा है।

        भारत हमेशा से गिलगित - बालटिस्तान को अपना हिस्सा मानता रहा है। सन 1994 में भारत की सांसद ने एकमत से एक प्रस्ताव पारित किया गया,  जिसके तहत गिलगित - बालटिस्तान  जम्मू-  कश्मीर का हिस्सा बना ।  पाकिस्तान इस क्षेत्र पर गैर कानूनी रूप से कब्जा किया है।  सन 1947 में विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद यह क्षेत्र भारत का अटूट अंग बन गया है।

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आपका बहुत -बहुत धन्यबाद।

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